नमस्कार दोस्तों, इस पोस्ट में मुशा का सिद्धान्त, इसके प्रकार एंव अपवादों का वर्णन किया गया है इसके अलावा हिबा का प्रतिसंहरण एंव मुशा का हिबा केसे किया जा सकता है को भी जानेगे| यह आलेख विधि के छात्रो व आमजनके लिए काफी महत्वपूर्ण है|

मुशा का अर्थ क्या है

मुशा शब्द का शाब्दिक अर्थ – भ्रम है, इसकी व्युत्पत्ति सुयूम शब्द से मानी जाती है| मुस्लिम विधि के अनुसार हिबा के सम्बन्ध में इसका अर्थ – किसी सम्पत्ति में अविभाजित भाग से है। यानि ऐसी हर प्रकार की संयुक्त अविभाजित सम्पत्ति (चल या अचल) जो दो या दो से अधिक व्यक्तियों के अधिकार में हो, मुशा कहलाती है।

मुस्लिम विधि में ऐसी सम्पति को मुशा (अविभाजित ) माना जाता है, जिस सम्पति को एक या एक से अधिक व्यक्ति सामूहिक रूप से उपयोग में लेते हो, जैसे – सीढ़िया, कुआं आदि|

मुल्ला के अनुसार  चल या अचल सम्पति का अविभाजित भाग मुशा होता है| अर्थात ऐसी सम्पति जो विभाजन योग्य नहीं है, या जिसका विभाजन नहीं हो सकता, मुशा कहलाता है|

मुस्लिम विधि के अधीन अविभाजित सम्पति को हिबा में दिया जा सकता है, ऐसे हिबा को वैध माना जाता है| यानि की मुशा का हिबा किया जा सकता है|

एक पिता द्वारा अपने अवयस्क पुत्र के पक्ष में मुशा सम्पति का दान (हिबा) रजिस्ट्रीकृत विलेख द्वारा किया जा सकता है और इसमें यदि कब्जे का परिदान नहीं किया जाता है तो इस आधार पर इस हिबा को अवैध नहीं ठहराया जा सकता|

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मुशा के प्रकार

मुशा दो प्रकार का होता है – (1) अविभाजित सम्पत्ति में (2) विभाजित सम्पत्ति में।

अविभाजित (अविभाज्य) सम्पत्ति में मुशा

मुल्ला के अनुसार  ऐसी किसी भी सम्पति का वैध हिबा किया जा सकता है जो विभाजन के योग्य नहीं है| इस प्रकार यदि ऐसी सम्पति का विभाजन किया जाता है, जिससे वह सम्पति विभाजन के कारण नष्ट या उसकी उपयोगिता ख़त्म हो जाती है, उस स्थिति में ऐसी अविभाजित सम्पति का हिबा वैध होता है|

उदाहरण   एक मकान का स्वामी है जो पड़ोसी मकान मालिक बी के साथ सीढ़ियों का सामूहिक रूप से उपयोग करता है|  ने सीढ़ियों के उपयोग सहित अपने मकान का हिबा सी के पक्ष में कर दिया| इस प्रकार के हिबा को वैध माना गया है क्योंकि सीढ़ियों का विभाजन नहीं की जा सकता और यदि इसका विभाजन किया जाता है तब उसकी उपयोगिता नष्ट हो जाएगी|

इसी प्रकार तुर्की हम्माम के व्यापार के हिस्से का हिबा मान्य है, क्योंकि हम्माम विभाज्य (विभाजन योग्य) नहीं है और यदि माप के आधार पर उसका विभाजन किया जाता है तो वह नष्ट हो जायेगा| (फैयाजुद्दीन बनाम क़ुतुबद्दीन, ए.आई.आर. 1929 लाहौर 309)

एक अन्य मामला जिसमे “एक जलाशय के अविभाजित हिस्सा के हिबा को वैध माना गया था क्योंकि जलाशय विभाजन योग्य नहीं था| (अलाबक्ष बनाम महावत अली, ए.आई.आर. 1935 कलकत्ता 739)

इसलिए इन सभी तथ्यों से स्पष्ट है कि मुस्लिम विधि के अधीन “ऐसी अविभाजित (विभाजन से क्षतिग्रस्त या कम उपयोगी हो जाने वाली) सम्पत्ति में मुशा (अविभाजित हिस्सा) का हिबा मान्य होता है”।

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विभाजित सम्पत्ति में मुशा

यदि कोई सम्पति अविभाजित है और वह सम्पत्ति विभाजन योग्य है तब मुशा का दान हनफी विधि के अधीन अनियमित होगा, लेकिन शून्य नहीं होगा। यानि विभाजन योग्य (विभाज्य) सम्पत्ति के अविभाजित हिस्से का दान, विभाजन के बाद व कब्जे के परिदान द्वारा मान्य (वैध) हो जाता है।

हिदाया के अनुसार  मुशा सम्बन्धी यह नियम है कि “किसी अविभाजित सम्पति के ऐसे हिस्से का हिबा (दान) जो विभाजन योग्य (विभाज्य) है तब तक मान्य नहीं होता है, जब तक कि उसे विभाजित करके दानदाता की सम्पत्ति से अलग न कर दिया जाये, लेकिन अविभाज्य सम्पति (उसके किसी अविभाजित भाग) का दान मान्य होता है”।

उदाहरण – क किसी भूमि के अपने विभाजित हिस्से का  के पक्ष में हिबा करता है। हिबा करते समय हिस्सा विभाजित नहीं किया गया, लेकिन कुछ समय बाद अलग किया जाता है और उसका कब्जा  को दे दिया जाता है। यहाँ पर हिबा प्रारम्भ में अनियमित है, लेकिन सम्पति के विभाजन के पश्चात् व कब्जे के परिदान द्वारा हिबा मान्य हो जाता है।

इस प्रकार मुस्लिम विधि के अधीन अविभाजित हिस्से का विभाजन हो भी सकता है और नहीं भी। यदि सम्पत्ति का विभाजन किया जा सकता हो, तब अविभाजित भाग उस समय तक दान में नहीं दिया जा सकता है जब तक कि उसका विभाजन न हो जाये। इस प्रकार यदि सम्पत्ति का विभाजन नहीं हो सकता तब भी अविभाजित भाग को दान में दिया जा सकता है।

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मुशा के सिद्वांत के अपवाद

(1) एक उत्तराधिकारी द्वारा दूसरे सह उत्तराधिकारी को हिबा –

एक उत्तराधिकारी को किया गया मुशा का हिबा मान्य होता है। एक हनफी औरत अपने पुत्र, पुत्री और माँ को छोड़कर मर जाती है। मृतक की माँ मृतक की सम्पत्ति में से अपने हिस्से का दान पुत्र (जो कि सह उत्तराधिकारी है) को कर देती है। प्रिवी काउन्सिल के द्वारा ऐसे दान को मान्य किया गया है, यह अलग बात है की सम्पत्ति का विभाजन नहीं हुआ है।

(2) जमींदारी या तालुका में हिस्से का हिबा –

जमींदारी या तालुका में हिस्से का हिबा मान्य होता है, ऐसे मामलों में  जमींदारी या तालुका का वास्तविक विभाजन आवश्यक नहीं होता है, क्योंकि इसमें दान की वस्तु के हिस्से के उत्पादन या लगान के एक निश्चित अंश को प्राप्त करने या अलग से वसूल करने का अधिकार शामिल होता है|

उदाहरण – , एंव  एक भूमि के संयुक्त हिस्सेदार है और इन सभी का भूमि में पृथक-पृथक अंश निर्धारित है तथा राजस्व अभिलेख में  उनके नाम से दर्ज है| इसलिए सभी हिस्सेदार अपने अपने हिस्से का किराया अलग से वसूल करने के हक़दार है, इस स्थिति में भूमि का विभाजन किये बिना यदि  अपने हिस्से का हिबा  को करता है तब यह हिबा वैध माना जाएगा|

(3) किसी कम्पनी में शेयर का दान मान्य होता है।

( 4 ) दो या दो से अधिक व्यक्तियों को दान –

यदि दानग्रहीताओं के हिस्से स्पष्ट रूप से परिभाषित हैं तो दो या दो से अधिक व्यक्तियों को संयुक्त रूप से किसी अविभाज्य सम्पत्ति को अविभाजित रूप से किया गया हिबा मान्य होगा|

(5) अनुबन्ध के साथ किया गया दान –

इस अनुबन्ध के साथ मुशा का दान कि दानग्रहीता किसी व्यक्ति को नियत अवधि के अन्तर से निश्चित धनराशि दिया करेगा, ‘मुशा के सिद्धान्त’ की बाधा से मुक्त तथा मान्य होता है।

(6) किसी बड़े व्यावसायिक नगर में निष्कर सम्पत्ति (Freehold property) में हिस्से का हिबा –

जैसे –  रंगून में स्थित एक मकान का स्वामी था।  ने अपने इस मकान के एक तिहाई हिस्से का हिबा  के पक्ष में कर दिया, इस हिबा को वैध माना गया, क्योंकि सम्पत्ति बड़े व्यावसायिक नगर में स्थित है। (इब्राहीम गुलाम आरिफ बनाम सैय्यदु, 1907 35, कलकत्ता 1)

( 7 ) किसी जोत (holding) में हिस्से का हिबा जिसमें दान दानग्रहीता के साथ संयुक्त रूप से काबिज हो|

( 8 ) जब दान गरीबों को किया जाये या उसकी प्रकृति सदका की हो तो मुशा का दान मान्य होता है।

(9) किसी वस्तु में अविभाजित हिस्से का हिबा मान्य होता है जब उसकी प्रकृति ऐसी हो कि अविभाजित स्थिति में उसका उपयोग अधिक लाभदायक हो।

शिया विधि के अनुसार अविभाजित हिस्से का हिबा मान्य है, चाहे सम्पत्ति विभाज्य हो या नहीं हो (अविभाज्य)

हिबा का प्रतिसंहरण (रद्द करना)

मुस्लिम विधि में सभी स्वेच्छापूर्ण संव्यवहार प्रतिसंहरणीय (revocable) होते हैं हनफी विधि में दान (हिबा) हमेशा प्रतिसंहरणीय होता है| चूँकि पैगम्बर मुहम्मद की परम्परा के कारण इसे घृणित माना जाता है। हनफी विधि के अनुसार हिबा (दान) को न्यायालय द्वारा निरस्त किया जा सकता है।

शिया विधि दान को रद्द करना घृणित भी नहीं मानती और घोषणा मात्र से दिया हुआ दान दाता को वापस हो जाता है, लेकिन प्रत्येक दान को खण्डित नहीं किया जा सकता है। अशना अशारी एवं शफी विधियों को छोड़कर दान को निरस्त करने के लिये दाता द्वारा केवल घोषणा करना ही पर्याप्त नहीं है।

हिबा का प्रतिसंहरण (रद्द करना) दो तरह से होता है –

(1) कब्जे के परिदान के पहले –

इस विषय में विधि बहुत स्पष्ट है, कब्जे के परिदान के पहले हिबा पूर्ण नहीं होता, इसलिये दाता को उसके प्रतिसंहरण का पूर्ण अधिकार होता है।

(2) कब्जे के परिदान के बाद –

कब्जे के परिदान के बाद भी दाता को हिबा के प्रतिसंहरण का अधिकार होता है, केवल इस अन्तर के साथ कि उस स्थिति में उसे दानग्रहीता की सहमति या न्यायालय में यथा विधि एक डिक्री प्राप्त करनी होगी। निम्नलिखित दशाओं में हिबा पूर्णतया अप्रतिसंहरणीय होते हैं।

(i) जब दाता की मृत्यु हो गई हो।

(ii) जब दानग्रहीता की मृत्यु हो गई हो।

(iii) जब दानग्रहीता का दाता से रिश्ता निषिद्ध आसत्तियों के भीतर हो (जैसे भाई और बहिन)।

(iv)जब दाता और दानग्रहीता का वैवाहिक सम्बन्ध हो (जैसे पति-पत्नी के रूप में) ।

(v) जब दानग्रहीता ने विषय-वस्तु का विक्रय, हिबा या अन्य रूप से अन्तरण कर दिया हो। 6. जब विषय वस्तु खो गई हो, नष्ट हो या उसमें ऐसा परिवर्तन हो गया हो कि उसकी पहचान न हो सके।

(vi) जब विषय-वस्तु के मूल्य में वृद्धि हो और वह वृद्धि उससे अलग न की जा सके।

(vii) जब दान ‘सदका’ हो।

(viii) जब बदले में कोई चीज स्वीकार कर ली गई हो।

हिबा के प्रतिसंहरण की शिया विधि और सुन्नी विधि में अन्तर है

सुन्नी विधि शिया विधि
1 निषिद्ध आसत्ति के भीतर रिश्तेदार को किया गया हिबा अप्रतिसंहरणीय होता है। किसी रिश्तेदार को, चाहे वह निषिद्ध आसत्ति के भीतर हो या नहीं, किया गया हिबा अप्रतिसंहरणीय होता है। रक्त संबंध उसे अप्रतिसंहरणीय बनाने के लिये काफी है।
2 पति-पत्नी के बीच हिबा केवल विवाह के कायम रहने तक अप्रतिसंहरणीय होता है। पति-पत्नी के मध्य हिबा कब्जे के परिदान के बाद अप्रतिसंहरणीय हो जाता है।
3 हिबा का प्रतिसंहरण दानग्रहीता की सहमति या न्यायालय की डिक्री के द्वारा होना आवश्यक है। घोषणा मात्र से या डिक्री के द्वारा हिबा का प्रतिसंहरण किया जा सकता है।

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