दृष्टान्तानुसरण का सिद्धान्त तथा प्रासंगिक विचार | Doctrine of Stare decisis in Hindi

इस आलेख में दृष्टान्तानुसरण का सिद्धान्त | Doctrine of Stare decisis का परिचय एंव इसकी उपयोगिता तथा क्षेत्र | निर्णयाधार एवं प्रासंगिक विचार में प्रमुख अंतर क्या है? आदि के…

न्यायिक पूर्व निर्णय : परिभाषा, इसके विभिन्न प्रकार, महत्त्व एंव गुण-दोष

इस आलेख में पूर्व-निर्णय कि परिभाषा, इसके विभिन्न प्रकार एंव महत्त्व तथा पूर्व निर्णय के गुण-दोषों का संक्षेप में वर्णन किया गया है, यह आलेख विधि के छात्रों, आमजन एंव…

विधि के स्त्रोत में रूढ़ि की परिभाषा, इसके आवश्यक तत्व एंव इसका महत्त्व

इस आलेख में विधि के स्त्रोत के रूप में रूढ़ि (प्रथा) कि परिभाषा, इसके महत्त्व की समीक्षा एंव प्रथा की वैधता के लिए विभिन्न तत्वों का आसान भाषा में वर्णन किया…

विधि के स्त्रोत में विधायन का महत्त्व, परिभाषा एंव प्रकार | सर्वोच्च विधायन एंव अधीनस्थ विधायन

ऐतिहासिक स्रोतों में मुख्य रूप से विधिवेत्ताओं की कृतियाँ, लेख, टिप्पणियाँ, निर्णय, पत्रिकायें, लॉ रिपोर्ट्स आदि आती हैं। विधिक स्रोतों में विधायन, पूर्ण-निर्णय, रूढ़िगत विधि एवं अभिसमयात्मक विधि को शामिल…

हेंस केल्सन का शुद्ध विधि का सिद्धान्त की व्याख्या | आवश्यक तत्व, महत्त्व एंव आलोचना

इस आलेख में हेंस केल्सन का शुद्ध विधि का सिद्धान्त (pure theory of law) की अवधारणा, इसके आवश्यक तत्व, महत्त्व एंव विभिन्न विधिशास्त्रियों द्वारा की गई आलोचना का आसान शब्दों…

न्यायशास्त्र को कानून की आँख क्यों कहा जाता है?, इसका महत्त्व | Jurisprudence is the eye of law

इस आलेख में न्यायशास्त्र को कानून की आँख क्यों कहा जाता है? तथा इसके अध्ययन का महत्त्व क्या है? को आसान शब्दों में बताया गया है| न्यायशास्त्र, कानून की आँख…

हिबा के प्रकार | हिबा-बिल-एवज एंव हिबा-ब-शर्तुल-एवज में अन्तर | मुस्लिम विधि

पहले हमें हिबा की परिभाषा एंव इसके आवश्यक तत्वों को जाना था और इस आलेख में मुस्लिम विधि के तहत हिबा के प्रकार | हिबा बिल–एवज की आवश्यक शर्ते, हिबा,हिबा–बिल–एवज तथा हिबा–ब–शर्तुल–एवज…

क्या विधिशास्त्र, सुस्पष्ट विधि का दर्शन है। ऑस्टिन की व्याख्या | philosophy of Positive Law

इस आलेख में जॉन ऑस्टिन ने विधिशास्त्र को सुस्पष्ट विधि का दर्शन क्यों एंव किसलिए कहा है, की व्याख्या की गई है, जिसमे सुस्पष्ट विधि का दर्शन को विस्तृत शब्दों…

डॉ. हनीराज एल. चुलानी बनाम बार कौंसिल ऑफ महाराष्ट्र (ए.आई.आर. 1996 एस. सी. 2076)

इस आलेख में डॉ. हनीराज एल. चुलानी के मामले का संक्षिप्त सार दिया गया है क्योंकि यह विधि व्यवसाय से जुड़ा हुआ महत्वपूर्ण मामला है| इसमें विधि व्यवसाय के साथ…