नमस्कार दोस्तों, इस लेख में हम अपकृत्य विधि के तहत उपताप क्या है, उपताप की परिभाषा,  लोक उपताप तथा व्यक्तिगत उपताप में अन्तर, उपताप के प्रकार | Nuisance in tort in hindi के बारें में बताया गया है|

उपताप क्या है

अपदूषण अथवा उपताप जिसे कंटक या न्यूसेन्स (Nuisance) भी कहा जाता है; एक सामान्य अपकृत्य है। हमारे दैनिक जीवन के ऐसे कई कार्य है जो कंटक, उपताप अथवा अपदूषण की परिभाषा में आते है।

अपदूषण आंग्ल शब्द “Nuisance” का हिन्दी रूपान्तरण है। Nuisance फ्रेंच शब्द “Nure” से बना है जिसका अर्थ क्षति पहुँचाना, क्षोभ कारित करना आदि है। ब्लेकस्टोन द्वारा इसे “Nocumentun” के रूप में सम्बोधित किया गया है जिसका अर्थ “क्षति, असुविधा, नुकसान या क्षोभ आदि” है ।

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उपताप की परिभाषा

उपताप/अपदूषण की विभिन्न विधिवेत्ताओं द्वारा अलग-अलग परिभाषायें दी गई है। यहाँ कुछ महत्त्वपूर्ण परिभाषाओं पर विचार किया गया है –

ब्लेकस्टोन के अनुसार  अपदूषण एक ऐसा कृत्य है जिससे किसी अन्य व्यक्ति को आघात, असुविधा या क्षति कारित होती है।

स्टीफेन के अनुसार  अपदूषण एक ऐसा कृत्य है जिससे किसी अन्य व्यक्ति की भूमि, भवन या दाययोग्य अधिकार को क्षति कारित की जाती है या उसमें किसी प्रकार का हस्तक्षेप किया जाता है लेकिन जो अतिक्रमण नहीं होता है।”

विनफील्ड के अनुसार  उपताप किसी व्यक्ति भूमि के या उसके ऊपर या उससे सम्बन्धित किसी अधिकार के प्रयोग या उपयोग में अवैध हस्तक्षेप है।

पोलक के अनुसार  बिना किसी क़ानूनी औचित्य के किसी भूमि पर उससे सम्बद्ध किसी अधिकार में हस्तक्षेप करना उपताप (न्यूसेन्स) अथवा अपदूषण है।

सॉमण्ड के अनुसार  उपताप उस कृत्य को कहते है जहाँ प्रतिवादी अपनी भूमि से किसी अन्य जगह से हानिकारक वस्तुओं को बिना किसी विधिक औचित्य के वादी की भूमि में जाने देता है। ऐसी वस्तुओं में पानी, धुआँ, गैस, दुर्गन्ध, शोरगुल, गर्मी, कम्पन, बिजली, बीमारी के कीड़े, जानवार आदि सम्मिलित है।”

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केस रोड बनाम लियान्स (1945 के. बी. 216)

इस प्रकरण में न्यूसेन्स की परिभाषा इस प्रकार की गई है – “न्यूसेन्स से अभिप्राय है किसी व्यक्ति की भूमि के उपयोग या उस पर या उससे सम्बन्धित किसी अधिकार में हस्तक्षेप करना।”

इस तरह उपरोक्त परिभाषाओं से यह स्पष्ट है कि – उपताप /न्यूसेन्स एक ऐसा कृत्य है जो व्यक्ति के स्वास्थ्य, सुरक्षा या इन्द्रियों को कष्ट पहुँचाता है और जिसके द्वारा व्यक्ति को आघात, असुविधा अथवा क्षोभ कारित होता है।”

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उपताप कितने प्रकार के होते है

उपताप /अपदूषण को मुख्य तौर पर दो भागों में विभाजित किया गया है –

(i) लोक अपदूषण (Public nuisance)

(i) प्राइवेट अपदूषण (Private nuisance)

लोक अपदूषण (Public nuisance)

लोक उपताप को सार्वजनिक अथवा सामन्य उपताप भी कहा जाता है। विनफील्ड के अनुसार – लोक उपताप /अपदूषण से तात्पर्य ऐसे अपदूषण से है जो जनसाधारण या लोगों के एक वर्ग की युक्तियुक्त सुविधा या आराम को प्रतिकूलतया प्रभावित करता है।

क्लार्क एवं लिण्डसेल के अनुसार  लोक अपदूषण ऐसा अवैधानिक कृत्य है, जिससे जनसाधारण के जीवन, सुरक्षा, स्वास्थ्य, सम्पत्ति या सुविधा को संकट उत्पन्न हो जाता है या जिससे जनसाधारण के सामान्य अधिकारों के उपयोग-उपभोग में बाधा कारित होती है।

भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 268 में शब्द लोक उपताप (न्यूसेन्स) की परिभाषा इस प्रकार की गई है कि

“वह व्यक्ति लोक न्यूसेन्स का दोषी है जो कोई ऐसा कार्य करता है या किसी अवैध लोप का दोषी है जिससे लोक को या जन साधारण को जो आसपास में रहते हो या आसपास की सम्पत्ति पर अधिभोग रखते हों, कोई सामान्य क्षति, संकट या क्षोभ कारित हो या जिसमें उन व्यक्तियों का जिन्हें किसी लोक अधिकार को उपयोग में लाने का मौका पड़े, क्षति, बाधा, संकट या क्षोभ कारित होना अवश्यम्भावी है।”

इन सभी परिभाषाओं से यह स्पष्ट है कि, ऐसे सभी कार्य लोक अपदूषण की परिधि/क्षेत्र में आते है जिनसे जनसाधारण को बाधा, क्षति, क्षोभ या संकट कारित होता हो या कारित होना अघिसम्भाव्य हो ।

सार्वजनिक स्थानों या भागों में गड्ढे खोद देना, दीवार खड़ी कर देना, ज्वलनशील पदार्थ रखना, ध्वनि प्रदूषण फैलाना आदि इसके अच्छे उदाहरण है। इसके अलावा रासयनिक कारखानों से कारित वायु एवं जल प्रदूषण को उच्चत्तम न्यायालय द्वारा लोक अपदूषण माना गया और उससे प्रभावित व्यक्तियों को विशेष नुकसानी दिलाई गई।

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लोक उपताप में कार्यवाही

लोक अपदूषण के मामलों में सामान्यताया सार्वजनिक तौर पर कार्यवाही की जाती है क्योंकि ऐसे मामलों में व्यक्तिगत वाद नहीं लाये जा सकते। व्यक्तिगत वाद केवल तभी लाये जा सकते है जब यह साबित कर दिया जाये कि ऐसे लोक अपदूषण से किसी व्यक्ति को विशेष क्षति कारित हुई है।

केस रोज बनाम माइल्स (1815) 4 एम एण्ड एस 101

लोक अपदूषण के मामले में कार्यवाही का यह एक अच्छा प्रकरण है, इसमें प्रतिवादी ने एक लोक जलमार्ग पर अपना जहाज खड़ा कर उसे अवरोधित कर दिया था। जब उधर से वादी का जहाज निकला तो उसे आगे का रास्ता नहीं मिलने से उसे अपने जहाज का माल अन्य भूमि यातायात द्वारा भेजना पड़ा जिस पर काफी धन व्यय हुआ। न्यायालय ने प्रतिवादी को लोक अपदूषण का दोषी मानते हुए उसके विरुद्ध नुकसानी का आदेश पारित किया।

रामदास एण्ड सन्स बनाम भुवनेश्वर प्रसाद सिंह (.आई.आर.1973 पटना294)

इस प्रकरण में प्रतिवादीगण ने नल की लाइन बिछाने का एक ठेका लिया था और इसी अनुक्रम में एक सरकारी अस्पताल के सामने सड़क की ओर कुछ गड्ढे खोदे और उनमे से कुछ गड्ढे बिना ढके छोड़ दिये जिनसे एक बार रात्रि के समय प्रत्यर्थी (वादी) अस्पताल जाते समय खोदे गए गड्ढे में गिरकर हताहत हो गया। न्यायलय ने प्रतिवादीगण को लोक अपदूषण का दोषी ठहराया क्योंकि उसने न तो खोदे गए गड्ढे के चारों ओर बाड़ लगाई थी और ना ही कोई चेतावनी संकेत अथवा रोशनी का प्रबन्ध किया था।

व्यक्तिगत (प्राइवेट) उपताप (Private nuisance)

प्राईवेट अथवा व्यक्तिगत अपदूषण एक ऐसा अपदूषण है जो मूलतः व्यक्ति विशेष को प्रभावित करता है। इसमें किसी व्यक्ति विशेष की सम्पति, सुख या सुविधा में प्रत्यक्ष हस्तक्षेप किया जाता है। यह किसी व्यक्ति की भूमि या उसके ऊपर या उससे सम्बन्धित किसी प्रयोग या उपभोग में अवैध हस्तक्षेप होता है।

व्यक्तिगत उप-ताप के लिए यह आवश्यक नहीं है कि किसी व्यक्ति द्वारा अवैध कार्य किया जाये। कोई भी व्यक्ति अपनी भूमि पर विधिपूर्ण कार्य करके भी अपदूषण कारित कर सकता है; यदि वह उसे अनुचित या अयुक्तियुक्त तरीके से करें।

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लोक उपताप तथा व्यक्तिगत उपताप में अन्तर

लोक अपदूषण एंव व्यक्तिगत अपदूषण में निम्नलिखित अन्तर मिलता है –

(1) लोक उप-ताप जन साधारण के विरुद्ध “अपकृत्य एवं अपराध” दोनों होता है, जबकि व्यक्तिगत उप-ताप किसी व्यक्ति विशेष के विरुद्ध अपकृत्य होता है।

(2) लोक उप-ताप अपराध की कोटि में आता है जबकि व्यक्तिगत अपदूषण अपकृत्य होता है।

(3) लोक उप-ताप विशेष क्षति या नुकसान साबित किये जाने पर अनुयोज्य (actionable) होता है, जबकि व्यक्तिगत अपदूषण में यह आवश्यक नहीं है।

(4) लोक उप-ताप का उपशमन किसी व्यक्ति विशेष द्वारा नहीं किया जा सकता है, जबकि व्यक्तिगत उपताप का उपशमन उससे प्रभावित व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है।

(5) लोक उप-ताप के मामलों में सिविल एवं आपराधिक (civil and criminal) दोनों प्रकार की कार्यवाहियों की जा सकती है, जबकि व्यक्तिगत उप-ताप में केवल सिविल कार्यवाही की जा सकती है।

(6) लोक उप-ताप जनसाधारण या जनता के एक वर्ग को प्रभावित करता है, जबकि व्यक्तिगत उप-ताप केवल किसी व्यक्ति विशेष को प्रभावित करता है।

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