हेल्लो दोस्तों, इस आलेख में सीआरपीसी की धारा 320 के तहत अपराधों का शमन क्या है, कौन से अपराध शमन योग्य हैं तथा शमन का क्या प्रभाव है? | Mitigation of Offenses Section 320 of CrPC Explain in Hindi का उल्लेख किया गया है|

अपराधों का शमन –

प्राय: शमन से तात्पर्य – किसी प्रकरण में समझौता अर्थात् राजीनामा है और अपराधों के शमन से तात्पर्य – पक्षकारों के बीच किसी आपराधिक मामले में समझौता अर्थात् राजीनामा हो जाना है। आपराधिक कानून में पीड़ित पक्षकार के पास अपराध को शमन करने की योग्यता होती है| शमन का उद्देश्य आपराधिक कार्यवाही को समाप्त करते हुए पक्षकारों के मध्य मधुर सम्बन्धों को बनाये रखना है।

किसी प्रकरण में पीड़ित पक्षकार (परिवादी) अपनी सहमति देकर प्रकरण में राजीनामा कर आपराधिक कार्यवाही को समाप्त कर सकता है। अपराधों के शमन के सम्बन्ध में दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 320 में प्रावधान किये गए है, इस धारा का उद्देश्य समाज में शांति बनाए रखने के लिए पक्षकारों के मध्य सौहार्दपूर्ण सम्बन्धो को बढ़ावा देना है।

के. कन्डास्वामी बनाम के.पी.एम.वी.पी. चन्द्रशेखरन के मामले में यह कहा गया है कि – जहाँ किसी मामले में पक्षकारों के बीच राजीनामा हो गया हो और वे मामले को आगे नहीं चलाना चाहते हों, वहाँ राजीनामे की इजाजत दे दी जानी चाहिए। (ए.आई.आर. 2005 एस.सी. 2485)

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शमन योग्य अपराध –

आपराधिक कार्यवाही में कुछ ऐसे अपराध होते है जिनमे पीड़ित पक्षकार स्वेच्छा एवं स्वतन्त्र सहमति से राजीनामा कर उन अपराधों का शमन कर सकते है लेकिन अनेक ऐसे अपराध होते है जिनमे पीड़ित पक्षकार को राजीनामा करने से पूर्व माननीय न्यायालय की इजाजत की आवश्यकता होती है यानि ऐसे अपराधों में राजीनामा करने से पूर्व न्यायालय की इजाजत लेनी होगी|

यहाँ यह बताना उचित होगा कि समझौता केवल ऐसे अपराधों में ही किया जा सकता है जिनका उल्लेख संहिता की धारा 320 में किया गया है यानि अशमनीय एवं गम्भीर प्रकृति के अपराधों का शमन नहीं किया जा सकता है। संहिता की धारा 320 में शमन योग्य मामलों का उल्लेख किया गया है –

सीआरपीसी की धारा 320 की उपधारा (1) में ऐसे अपराधों का उल्लेख किया गया है जिनमें मामले के पक्षकार स्वेच्छा एवं स्वतन्त्र सहमति से राजीनामा कर सकते है, एंव

सीआरपीसी की धारा 320 की उपधारा (2) में ऐसे अपराधों का उल्लेख किया गया है जिनमें राजीनामा केवल न्यायालय की पूर्व अनुज्ञा से ही किया जा सकता है

दामन बनाम स्टेट ऑफ केरल के मामले अनुसार – धारा 320 के उपबन्ध आज्ञापक है, इनका कठोरता से पालन किया जाना चाहिए। (ए.आई. आर. 2014 एस.सी. 1437)

सुधीर कुमार बनाम एम.एम. कुन्हीरमण के प्रकरण में निर्धारित किया गया है कि, चैक अनादरण के मामलों में राजीनामा किया जा सकता है और ऐसे राजीनामे का परिणाम अभियुक्त का दोषमुक्त होना है। (ए.आई.आर. 2008 एन.ओ.सी. 1005 केरल)

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अपराधों का शमन कौन कर सकता है –

शमन यानि राजीनामा सामान्यतः प्रकरण के पक्षकारों द्वारा किये जाते है, संहिता की धारा 320 की उपधारा (1) व (2) की सारणियों के तीसरे स्तम्भ में उन व्यक्तियों का उल्लेख किया गया है जिनके द्वारा राजीनामा किया जा सकता है। यदि राजीनामा करने वाला व्यक्ति –

  1. अवयस्क,
  2. पागल, या
  3. जड़ है तो उसकी ओर से संविदा करने योग्य व्यक्ति माननीय न्यायालय की अनुज्ञा/इजाजत से राजीनामा कर सकता है।

यदि राजीनामा करने वाले व्यक्ति की मृत्यु हो गई है तो उसका विधिक प्रतिनिधि राजीनामा कर सकता है।

अपराधों का शमन कब किया जा सकता है –

असलम बनाम एम्परर के मामले अनुसार – अपराधों का शमन यानि राजीनामा दण्डादेश पारित किये जाने से पूर्व, यहाँ तक कि निर्णय लिखते समय भी किया जा सकेगा। (आई.एल. आर. 45, कलकत्ता 816)

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अपराधों के शमन की सारणी जो दो भागों में विभाजित किया गया है –

(i) शमन योग्य अपराध (न्यायालय की अनुमति के बिना)

आई.पी.सी. की धारा जो लागू होती है अपराध वह व्यक्ति जिसके द्वारा अपराध का शमन किया जा सकता है
298 किसी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के विमर्शित आशय से शब्द उच्चारित करना, आदि। वह व्यक्ति जिसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचना आशयित है।
323 स्वेच्छा उपहति कारित करना वह व्यक्ति जिसे उपहति कारित की जाती है।
334 प्रकोपन पर स्वेच्छया उपहति कारित करना यथोक्त
335 गम्भीर और अचानक प्रकोपन पर स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना यथोक्त
341, 342 किसी व्यक्ति का सदोष अवरोध या परिरोध वह व्यक्ति जो अवरुद्ध या परिरुद्ध किया गया है
343 किसी व्यक्ति का तीन या अधिक दिनों के लिए सदोष परिरोध परिरुद्ध व्यक्ति
344 किसी व्यक्ति का दस या अधिक दिनों के लिए सदोष परिरोध यथोक्त
346 गुप्त स्थान में किसी व्यक्ति का सदोष परिरोध यथोक्त
352, 355, 358 हमला या आपराधिक बल का प्रयोग चोरी वह व्यक्ति जिस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग किया गया है
379 चोरी चुराई गई सम्पत्ति का स्वामी
403 सम्पत्ति का बेईमानी से दुर्विनियोग दुर्विनियुक्त सम्पत्ति का स्वामी
407 वाहक, घाटवाल आदि द्वारा आपराधिक न्यास भंग यथोक्त
411 चुराई हुई सम्पत्ति को, यह जानते हुए कि वह चुराई गई है, बेईमानी से प्राप्त करना चुराई गई सम्पत्ति का स्वामी
414 चुराई हुई सम्पत्ति को, यह जानते हुए कि वह चुराई गई है, छिपाने में या व्ययनित करने में सहायता करना यथोक्त
417 छल वह व्यक्ति जिससे छल किया गया है
419 प्रतिरूपण द्वारा छल यथोक्त
421 लेनदारों में वितरण निवारित करने के लिए सम्पत्ति आदि का कपटपूर्वक अपसारण या छिपाना उसके द्वारा प्रभावित लेनदार
422 अपराधी को देय ॠण या माँग को उसके लेनदारों के लिए उपलभ्य होने से कपटपूर्वक निवारित करना। उसके द्वारा प्रभावित लेनदार
423 अन्तरण के ऐसे विलेख का, जिसमें प्रतिफल के सम्बन्ध में मिथ्या कथन अन्तर्विष्ट है, कपटपूर्वक निष्पादन। उसके द्वारा प्रभावित लेनदार
424 सम्पत्ति का कपटपूर्वक अपसारण या छिपाया जाना यथोक्त
426, 427 रिष्टि, जब कारित हानि या नुकसान केवल प्राइवेट व्यक्ति को हुई हानि या नुकसान है। वह व्यक्ति, जिसे हानि या नुकसान कारित हुआ है
429 जीवजन्तु को वध करने या उसे विकलांग करने के द्वारा रिष्टि ढोर पर जीवजन्तु का स्वामी
430 सिंचन सकर्मको क्षति करने या जल को दोषपूर्वक मोड़ने के द्वारा रिष्टि, जब उससे कारित हानि या नुकसान केवल प्राइवेट व्यक्ति को हुई हानि या नुकसान है वह व्यक्ति जिसे हानि या नुकसान कारित हुआ है।
447 आपराधिक अतिचार वह व्यक्ति जिसके कब्जे में ऐसी सम्पत्ति है जिस पर अतिचार किया गया है
448 गृह-अतिचार यथोक्त
451 कारावास से दण्डनीय अपराध को (जो चोरी से भिन्न है) करने के लिए गृह अतिचार वह व्यक्ति जिसका उस गृह पर कब्जा है जिस पर अतिचार किया गया है
482 मिथ्या व्यापार या सम्पत्ति चिह्न का उपयोग वह व्यक्ति, जिसे ऐसे उपयोग से हानि या क्षति कारित हुई है
483 अन्य व्यक्ति द्वारा उपयोग में लाए गए व्यापार या सम्पत्ति चिह्न का कूटकरण वह व्यक्ति, जिसे ऐसे उपयोग से हानि या क्षति कारित हुई है
486 कूटकृत सम्पत्ति चिह्न से चिह्नित माल को जानते हुए विक्रय या अभिदर्शित करना या विक्रय के लिए या विनिर्माण के प्रयोजन के लिए कब्जे में रखना यथोक्त
491 सेवा संविदा का आपराधिक भंग वह व्यक्ति जिसके साथ अपराधी ने संविदा की है।
497 जारकर्म स्त्री का पति
498 विवाहित स्त्री को आपराधिक आशय से फुसलाकर ले जाना, या ले जाना, या निरुद्ध रखना स्त्री का पति और स्त्री
500 मानहानि, सिवाय ऐसे मामलों के जो उपधारा (2) के अधीन सारणी के स्तम्भ 1 में भारतीय दण्ड संहिता की धारा 500 के सामने विनिर्दिष्ट किए गए हैं वह व्यक्ति जिसकी मानहानि की गई है
501 मानहानिकारक जानी हुई बात को मुद्रित या उत्कीर्ण करना यथोक्त
502 मानहानिकारक विषय रखने वाले मुद्रित या उत्कीर्ण पदार्थ को यह जानते हुए बेचना कि उसमें ऐसा विषय अन्तर्विष्ट है यथोक्त
504 लोक शांति भंग कराने को प्रकोपित करने के आशय से अपमान वह व्यक्ति जिसका अपमान किया जाता है
506 आपराधिक अभित्रास अभित्रस्त व्यक्ति
508 दैवी अप्रसाद का भाजन कराने का विश्वा करने के लिए किसी व्यक्ति को स्वतः उत्प्रेरित करना वह व्यक्ति जिसे उत्प्रेरित किया गया

(ii) शमन योग्य अपराध (न्यायालय की अनुमति से)

आई.पी.सी. की धारा जो लागू होती है अपराध वह व्यक्ति जिसके द्वारा अपराध का शमन किया जा सकता है
312 गर्भपात कारित करना वह स्त्री जिसका गर्भपात किया जाता है।
325 स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना वह व्यक्ति जिसे उपहति कारित की गई है
337 ऐसे उतावलेपन या उपेक्षा से कोई कार्य करने के द्वारा जिससे मानव जीवन या दूसरों का वैयक्तिक क्षेम संकटापन्न हो जाए, उपहति कारित करना

 

यथोक्त
338 ऐसे उतावलेपन या उपेक्षा से कोई कार्य के द्वारा जिससे मानव जीवन या दूसरों का वैयक्तिक क्षेम संकटापन्न हो जाए, घर उपहति कारित कराना यथोक्त
357 किसी व्यक्ति का सदोष परिरोध करने के प्रयत्न में हमला या आपराधिक बल वह व्यक्ति जिस पर हमला किया गया है या जिस पर बल का प्रयोग किया गया था
381 लिपिक या सेवक द्वारा स्वामी के कब्जे की सम्मत्ति की चोरी चुराई गई सम्पत्ति का स्वामी
408 लिपिक या सेवक द्वारा आपराधिक न्यासभंग उस सम्पत्ति का स्वामी जिसके सम्बन्ध में न्यासभंग किया गया है
418 ऐसे व्यक्ति के साथ छल करना जिसका हित संरक्षित रखने के लिए अपराधी या तो विधि द्वारा या वैध संविदा द्वारा आबद्ध था वह व्यक्ति, जिससे छल किया गया है
420 छल करना या सम्पत्ति परिदत्त करने अथवा मूल्यवान प्रतिभूति की रचना करने या उसे परिवर्तित या नष्ट करने के लिए बेईमानी से उत्प्रेरित करना वह व्यक्ति, जिससे छल किया गया है
494 पति या पत्नी के जीवनकाल में पुनः विवाह करना ऐसे विवाह करने वाले व्यक्ति का पति या पत्नी
500 राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति, या किसी राज्य के राज्यपाल, या किसी संघ राज्य क्षेत्र के प्रशासक, या किसी मंत्री के विरुद्ध उसके लोक कृत्यों के सम्बन्ध में, मानहानि, जब मामला लोक अभियोजक द्वारा किए गए परिवाद पर संस्थित है वह व्यक्ति जिसकी मानहानि की गई है
509 स्त्री की लज्जा का अनादर करने के आशय से शब्द कहना या ध्वनियाँ करना या अंगविक्षेप करना या किसी स्त्री की एकांतता का अतिक्रमण करना वह स्त्री जिसका अनादर करना आशयित था या जिसकी एकान्तता का अतिक्रमण किया गया था

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संदर्भ :- बूक : दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 (सूर्य नारायण मिश्र)