धारा 2 बीएनएसएस “परिभाषाएं” | सरल हिंदी में समझें Section 2 of BNSS

धारा 2 बीएनएसएस, 2023 का अध्याय “परिभाषाओं” से सम्बंधित है। इसमें कानून की भाषा स्पष्ट करने वाले शब्दों का अर्थ, संक्षिप्त रूप में बताया गया है, ताकि पढ़ने वाले (न्यायाधीश, अभियोजक, पुलिस और आम व्यक्ति) आसानी से इन्हें समझ सकें।

धारा 2 बीएनएसएस, 2023

परिभाषाएं :–

(1) इस संहिता में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,-

(क) “श्रव्य दृश्य इलैक्ट्रानिक” से अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत वीडियों कांफ्रेसिंग के प्रयोजनों के लिए, पहचान की आदेशिकाओं को अभिलिखित करना, तलाशी और अभिग्रहण या साक्ष्य, इलैक्ट्रानिक संसूचना का पारेषण और ऐसे अन्य प्रयोजनों के लिए किसी संसूचना युक्ति का प्रयोग और ऐसे अन्य साधन भी हैं, जिसे राज्य सरकार नियमों द्वारा उपबंधित करें;

(ख) ‘जमानत से किसी अधिकारी या न्यायालय द्वारा अधिरोपित कतिपय शर्तों पर किसी अपराध के कारित किये जाने के अभियुक्त या संदिग्ध व्यक्ति द्वारा किसी बंधपत्र या जमानत पत्र के निष्पादन पर विधि की अभिरक्षा से ऐसे व्यक्ति का छोड़ा जाना अभिप्रेत है;

(ग) “जमानतीय अपराध से ऐसा अपराध अभिप्रेत है जो प्रथम अनुसूची में जमानतीय के रूप में दिखाया गया है या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि द्वारा जमानतीय बनाया गया है और “अजमानतीय अपराध” से कोई अन्य अपराध अभिप्रेत है;

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(घ) ‘जमानत पत्र’ से प्रतिभूति के साथ छोड़े जाने के लिए कोई वचनबंध अभिप्रेत है;

(ङ) बंधपत्र से प्रतिभूति के बिना छोड़े जाने के लिए कोई वैयक्तिक बंधपत्र या वचनबंध अभिप्रेत है;

(घ) ‘आरोप’ के अंतर्गत, जब आरोप में एक से अधिक शीर्ष हों, आरोप का कोई भी शीर्ष है

(छ) ‘संज्ञेय अपराध से ऐसा अपराध अभिप्रेत है जिसके लिए और “संज्ञेय मामला से ऐसा मामला अभिप्रेत है जिसमें, कोई पुलिस अधिकारी प्रथम अनुसूची के या तत्समय प्रवृत किसी अन्य विधि के अनुसार वारण्ट के बिना गिरफ्तार कर सकता है

(ज) ‘परिवाद” से इस संहिता के अधीन मजिस्ट्रेट द्वारा कार्रवाई किए जाने के दृष्टि से मौखिक या लिखित रूप में उससे किया गया यह अभिकथन अभिप्रेत है कि किसी व्यक्ति ने, चाहे वह ज्ञात हो या अज्ञात, अपराध किया है, किंतु इसमें पुलिस रिपोर्ट सम्मिलित नहीं हैं।

स्पष्टीकरण –

ऐसे किसी मामले में, जो अन्वेषण के पश्चात् किसी असंज्ञेय अपराध का किया जाना प्रकट करता है, पुलिस अधिकारी द्वारा की गई रिपोर्ट परिवाद समझी जाएगी और वह पुलिस अधिकारी जिसके द्वारा ऐसी रिपोर्ट की गई है, परिवादी समझा जाएगा;

(झ) “इलैक्ट्रानिक संसूचना” से किसी इलैक्ट्रानिक युक्ति, जिसके अन्तर्गत टेलिफोन, मोबाईल फोन या अन्य बेतार दूरसंचार युक्ति या कम्प्यूटर या श्रव्य दृश्य प्लेयर या कैमरा या कोई अन्य इलैक्ट्रानिक युक्ति या इलैक्ट्रानिक प्ररूप, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट किया जाये, सम्मिलित है, द्वारा किसी लिखित, मौखिक, सचित्र सूचना या विडियो अंतर्वस्तु की संसूचना अग्निपेत है, जिसे (चाहे किसी एक व्यक्ति से अन्य व्यक्ति को या एक युक्ति से किसी अन्य युक्ति को या किसी व्यक्ति से किसी युक्ति को या किसी युक्ति से से किसी व्यक्ति को) पारेषित या अन्तरित किया जाता है:

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(ञ) ‘उच्च न्यायालय’ से अभिप्रेत है.-

(i) किसी राज्य के संबंध में, उस राज्य का उच्च न्यायालय;

(ii) किसी ऐसे संघ राज्यक्षेत्र के संबंध में, जिस पर किसी राज्य के उच्च न्यायालय की अधिकारिता का विस्तार विधि द्वारा किया गया है, वह उच्च न्यायालय :

(iii) किसी अन्य संघ राज्यक्षेत्र के संबंध में, भारत के उच्चतम न्यायालय से भिन्न, उस संघ राज्यक्षेत्र के लिए दाण्डिक अपील का सर्वोच्च न्यायालयः

(ट) “जांच” से, विचारण से भिन्न, ऐसी प्रत्येक जांच अभिप्रेत है जो इस संहिता के अधीन किसी मजिस्ट्रेट या न्यायालय द्वारा की जाए:

(ठ) “अन्वेषण” के अंतर्गत वे सब कार्यवाहियां है जो इस संहिता के अधीन पुलिस अधिकारी द्वारा या किसी भी ऐसे व्यक्ति (मजिस्ट्रेट से भिन्न) द्वारा जो मजिस्ट्रेट द्वारा इस निमित प्राधिकृत किया गया है, साक्ष्य एकत्र करने के लिए की जाएं

स्पष्टीकरण –

जहां किसी विशेष अधिनियम के उपबंधो में से कोई भी इस संहिता के उपबंधों से असंगत है, वहां विशेष अधिनियम के उपबंध अभिभावी होंगे:

(ङ) “न्यायिक कार्यवाही” के अन्तर्गत कोई ऐसी कार्यवाही आती है जिसके अनुक्रम में साक्ष्य, वैध रूप से शपथ पर लिया जाता है या लिया जा सकेगा:

(ढ) किसी न्यायालय या मजिस्ट्रेट के संबंध में ‘स्थानीय अधिकारिता से वह स्थानीय क्षेत्र अभिप्रेत है जिसके भीतर ऐसा न्यायालय या मजिस्ट्रेट इस संहिता के अधीन अपनी सभी या किन्हीं शक्तियों का प्रयोग कर सकेगा और ऐसे स्थानीय क्षेत्र में संपूर्ण राज्य या राज्य का कोई भाग समाविष्ट हो सकेगा जो राज्य सरकार, अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट करे;

(ण) “असंज्ञेय अपराध” से ऐसा अपराध अभिप्रेत है जिसके लिए और “असंज्ञेय मामला” से ऐसा मामला अभिप्रेत है जिसमें किसी पुलिस अधिकारी को वारण्ट के बिना गिरफ्तारी करने का प्राधिकार नहीं होता है:

(त) अधिसूचना से राजपत्र में प्रकाशित कोई अधिसूचना अभिप्रेत है;

(थ) अपराध से कोई ऐसा कार्य या लोप अभिप्रेत है जो तत्समय प्रवृत किसी विधि द्वारा दण्डनीय बनाया गया है और इसके अंतर्गत कोई ऐसा कार्य भी है जिसके सम्बन्ध में पशु अतिचार अधिनियम, 1871 की पारा 20 के अधीन कोई परिवाद किया जा सकेगा,

पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी के अंतर्गत, जब पुलिस थाने का भारसाधक (द) पुलिस थाने अधिकारी थाने से अनुपस्थित है या बीमारी या अन्य कारण से अपने कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ है. तब थाने में में उपस्थित ऐसा पुलिस अधिकारी है, जो ऐसे अधिकारी से पक्ति मे ठीक नीचे है और कान्स्टेबल की पंकि पंक्ति से ऊपर है, या जब राज्य सरकार ऐसा निदेश दे तब, इस प्रकार उपस्थित कोई अन्य पुलिस अधिकारी भी है।

(घ) ‘स्थान’ के अंतर्गत गृह, भवन, तम्बू, यान और जलयान भी हैं;

(न) ‘पुलिस रिपोर्ट से किसी पुलिस अधिकारी द्वारा धारा 193 की उपधारा (3) के अधीन मजिस्ट्रेट को भेजी गई रिपोर्ट अभिप्रेत है:

(प) पुलिस थाना से कोई भी चौकी या स्थान अभिप्रेत है जिसे राज्य सरकार द्वारा साधारणतया या विशेषतया पुलिस थाना घोषित किया गया है और इसके अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त विनिर्दिष्ट कोई स्थानीय क्षेत्र भी हैं:

(फ) ‘लोक अभियोजक से धारा 18 के अधीन नियुक्त कोई व्यक्ति अभिप्रेत है और इसके अंतर्गत लोक अभियोजक के निदेशों के अधीन कार्य करने वाला कोई व्यक्ति भी है;

(ब) उपखण्ड से जिले का कोई उपखण्ड अभिप्रेत है;

(म) ‘समन मामला से ऐसा मामला अभिप्रेत है जो किसी अपराध से संबंधित है और जो वारण्ट-मामला नहीं है:

(न) पीडित से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसे अभियुक्त के कार्य या लोप के कारण कोई हानि या क्षति कारित हुई है और इसके अंतर्गत ऐसे पीड़ित का संरक्षक या विधिक वारिस भी है;

(य) वारण्ट मामला से ऐसा मामला अभिप्रेत है जो मृत्यु, आजीवन कारावास या दो वर्ष से अधिक की अवधि के कारावास से दण्डनीय किसी अपराध से संबंधित है:

(2) उन शब्दों और पदो के, जो इसमें प्रयुक्त हैं और परिभाषित नहीं हैं, किंतु सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 और भारतीय न्याय संहिता, 2023 में परिभाषित हैं, वही अर्थ होंगे. जो उनके उस अधिनियम और संहिता में हैं:

धारा 2 बीएनएसएस Bare Act

Bare act Hindi

Bare act English

, 2023 का अध्याय “परिभाषाओं” से सम्बंधित है। इसमें कानून की भाषा स्पष्ट करने वाले शब्दों का अर्थ, संक्षिप्त रूप में बताया गया है, ताकि पढ़ने वाले (न्यायाधीश, अभियोजक, पुलिस और आम व्यक्ति) आसानी से इन्हें समझ सकें।

धारा 2 बीएनएसएस, 2023

परिभाषाएं :–

(1) इस संहिता में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,-

(क) “श्रव्य दृश्य इलैक्ट्रानिक” से अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत वीडियों कांफ्रेसिंग के प्रयोजनों के लिए, पहचान की आदेशिकाओं को अभिलिखित करना, तलाशी और अभिग्रहण या साक्ष्य, इलैक्ट्रानिक संसूचना का पारेषण और ऐसे अन्य प्रयोजनों के लिए किसी संसूचना युक्ति का प्रयोग और ऐसे अन्य साधन भी हैं, जिसे राज्य सरकार नियमों द्वारा उपबंधित करें;

(ख) ‘जमानत से किसी अधिकारी या न्यायालय द्वारा अधिरोपित कतिपय शर्तों पर किसी अपराध के कारित किये जाने के अभियुक्त या संदिग्ध व्यक्ति द्वारा किसी बंधपत्र या जमानत पत्र के निष्पादन पर विधि की अभिरक्षा से ऐसे व्यक्ति का छोड़ा जाना अभिप्रेत है;

(ग) “जमानतीय अपराध से ऐसा अपराध अभिप्रेत है जो प्रथम अनुसूची में जमानतीय के रूप में दिखाया गया है या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि द्वारा जमानतीय बनाया गया है और “अजमानतीय अपराध” से कोई अन्य अपराध अभिप्रेत है;

यह भी जाने – Section 1 of BNSS : संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारंभ का सरल भाषा में रूपांतरण

(घ) ‘जमानत पत्र’ से प्रतिभूति के साथ छोड़े जाने के लिए कोई वचनबंध अभिप्रेत है;

(ङ) बंधपत्र से प्रतिभूति के बिना छोड़े जाने के लिए कोई वैयक्तिक बंधपत्र या वचनबंध अभिप्रेत है;

(घ) ‘आरोप’ के अंतर्गत, जब आरोप में एक से अधिक शीर्ष हों, आरोप का कोई भी शीर्ष है

(छ) ‘संज्ञेय अपराध से ऐसा अपराध अभिप्रेत है जिसके लिए और “संज्ञेय मामला से ऐसा मामला अभिप्रेत है जिसमें, कोई पुलिस अधिकारी प्रथम अनुसूची के या तत्समय प्रवृत किसी अन्य विधि के अनुसार वारण्ट के बिना गिरफ्तार कर सकता है

(ज) ‘परिवाद” से इस संहिता के अधीन मजिस्ट्रेट द्वारा कार्रवाई किए जाने के दृष्टि से मौखिक या लिखित रूप में उससे किया गया यह अभिकथन अभिप्रेत है कि किसी व्यक्ति ने, चाहे वह ज्ञात हो या अज्ञात, अपराध किया है, किंतु इसमें पुलिस रिपोर्ट सम्मिलित नहीं हैं।

स्पष्टीकरण –

ऐसे किसी मामले में, जो अन्वेषण के पश्चात् किसी असंज्ञेय अपराध का किया जाना प्रकट करता है, पुलिस अधिकारी द्वारा की गई रिपोर्ट परिवाद समझी जाएगी और वह पुलिस अधिकारी जिसके द्वारा ऐसी रिपोर्ट की गई है, परिवादी समझा जाएगा;

(झ) “इलैक्ट्रानिक संसूचना” से किसी इलैक्ट्रानिक युक्ति, जिसके अन्तर्गत टेलिफोन, मोबाईल फोन या अन्य बेतार दूरसंचार युक्ति या कम्प्यूटर या श्रव्य दृश्य प्लेयर या कैमरा या कोई अन्य इलैक्ट्रानिक युक्ति या इलैक्ट्रानिक प्ररूप, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट किया जाये, सम्मिलित है, द्वारा किसी लिखित, मौखिक, सचित्र सूचना या विडियो अंतर्वस्तु की संसूचना अग्निपेत है, जिसे (चाहे किसी एक व्यक्ति से अन्य व्यक्ति को या एक युक्ति से किसी अन्य युक्ति को या किसी व्यक्ति से किसी युक्ति को या किसी युक्ति से से किसी व्यक्ति को) पारेषित या अन्तरित किया जाता है:

यह भी जाने – राज्य क्या है? परिभाषा, उत्पत्ति एंव राज्य की उत्पत्ति के सिद्वांत

(ञ) ‘उच्च न्यायालय’ से अभिप्रेत है.-

(i) किसी राज्य के संबंध में, उस राज्य का उच्च न्यायालय;

(ii) किसी ऐसे संघ राज्यक्षेत्र के संबंध में, जिस पर किसी राज्य के उच्च न्यायालय की अधिकारिता का विस्तार विधि द्वारा किया गया है, वह उच्च न्यायालय :

(iii) किसी अन्य संघ राज्यक्षेत्र के संबंध में, भारत के उच्चतम न्यायालय से भिन्न, उस संघ राज्यक्षेत्र के लिए दाण्डिक अपील का सर्वोच्च न्यायालयः

(ट) “जांच” से, विचारण से भिन्न, ऐसी प्रत्येक जांच अभिप्रेत है जो इस संहिता के अधीन किसी मजिस्ट्रेट या न्यायालय द्वारा की जाए:

(ठ) “अन्वेषण” के अंतर्गत वे सब कार्यवाहियां है जो इस संहिता के अधीन पुलिस अधिकारी द्वारा या किसी भी ऐसे व्यक्ति (मजिस्ट्रेट से भिन्न) द्वारा जो मजिस्ट्रेट द्वारा इस निमित प्राधिकृत किया गया है, साक्ष्य एकत्र करने के लिए की जाएं

स्पष्टीकरण –

जहां किसी विशेष अधिनियम के उपबंधो में से कोई भी इस संहिता के उपबंधों से असंगत है, वहां विशेष अधिनियम के उपबंध अभिभावी होंगे:

(ङ) “न्यायिक कार्यवाही” के अन्तर्गत कोई ऐसी कार्यवाही आती है जिसके अनुक्रम में साक्ष्य, वैध रूप से शपथ पर लिया जाता है या लिया जा सकेगा:

(ढ) किसी न्यायालय या मजिस्ट्रेट के संबंध में ‘स्थानीय अधिकारिता से वह स्थानीय क्षेत्र अभिप्रेत है जिसके भीतर ऐसा न्यायालय या मजिस्ट्रेट इस संहिता के अधीन अपनी सभी या किन्हीं शक्तियों का प्रयोग कर सकेगा और ऐसे स्थानीय क्षेत्र में संपूर्ण राज्य या राज्य का कोई भाग समाविष्ट हो सकेगा जो राज्य सरकार, अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट करे;

(ण) “असंज्ञेय अपराध” से ऐसा अपराध अभिप्रेत है जिसके लिए और “असंज्ञेय मामला” से ऐसा मामला अभिप्रेत है जिसमें किसी पुलिस अधिकारी को वारण्ट के बिना गिरफ्तारी करने का प्राधिकार नहीं होता है:

(त) अधिसूचना से राजपत्र में प्रकाशित कोई अधिसूचना अभिप्रेत है;

(थ) अपराध से कोई ऐसा कार्य या लोप अभिप्रेत है जो तत्समय प्रवृत किसी विधि द्वारा दण्डनीय बनाया गया है और इसके अंतर्गत कोई ऐसा कार्य भी है जिसके सम्बन्ध में पशु अतिचार अधिनियम, 1871 की पारा 20 के अधीन कोई परिवाद किया जा सकेगा,

पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी के अंतर्गत, जब पुलिस थाने का भारसाधक (द) पुलिस थाने अधिकारी थाने से अनुपस्थित है या बीमारी या अन्य कारण से अपने कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ है. तब थाने में में उपस्थित ऐसा पुलिस अधिकारी है, जो ऐसे अधिकारी से पक्ति मे ठीक नीचे है और कान्स्टेबल की पंकि पंक्ति से ऊपर है, या जब राज्य सरकार ऐसा निदेश दे तब, इस प्रकार उपस्थित कोई अन्य पुलिस अधिकारी भी है।

(घ) ‘स्थान’ के अंतर्गत गृह, भवन, तम्बू, यान और जलयान भी हैं;

(न) ‘पुलिस रिपोर्ट से किसी पुलिस अधिकारी द्वारा धारा 193 की उपधारा (3) के अधीन मजिस्ट्रेट को भेजी गई रिपोर्ट अभिप्रेत है:

(प) पुलिस थाना से कोई भी चौकी या स्थान अभिप्रेत है जिसे राज्य सरकार द्वारा साधारणतया या विशेषतया पुलिस थाना घोषित किया गया है और इसके अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त विनिर्दिष्ट कोई स्थानीय क्षेत्र भी हैं:

(फ) ‘लोक अभियोजक से धारा 18 के अधीन नियुक्त कोई व्यक्ति अभिप्रेत है और इसके अंतर्गत लोक अभियोजक के निदेशों के अधीन कार्य करने वाला कोई व्यक्ति भी है;

(ब) उपखण्ड से जिले का कोई उपखण्ड अभिप्रेत है;

(म) ‘समन मामला से ऐसा मामला अभिप्रेत है जो किसी अपराध से संबंधित है और जो वारण्ट-मामला नहीं है:

(न) पीडित से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसे अभियुक्त के कार्य या लोप के कारण कोई हानि या क्षति कारित हुई है और इसके अंतर्गत ऐसे पीड़ित का संरक्षक या विधिक वारिस भी है;

(य) वारण्ट मामला से ऐसा मामला अभिप्रेत है जो मृत्यु, आजीवन कारावास या दो वर्ष से अधिक की अवधि के कारावास से दण्डनीय किसी अपराध से संबंधित है:

(2) उन शब्दों और पदो के, जो इसमें प्रयुक्त हैं और परिभाषित नहीं हैं, किंतु सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 और भारतीय न्याय संहिता, 2023 में परिभाषित हैं, वही अर्थ होंगे. जो उनके उस अधिनियम और संहिता में हैं:

धारा 2 बीएनएसएस Bare Act

Bare act Hindi

Bare act English

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