परिचय: समन
नए वकीलों और विधि के छात्रों को अक्सर कोर्ट की कार्यवाहियों से संबंधित आदेशों जैसे समन, वारंट, उद्घोषणा और कुर्की को समझने में कठिनाई होती है।
इस लेख में हम समन (Summons) और इसकी तामील (Service) से जुड़े प्रावधानों को आसान भाषा में समझाएंगे, ताकि कानून से जुड़े हर व्यक्ति को इसकी स्पष्ट जानकारी मिल सके।
समन क्या होता है?
समन एक कानूनी आदेश होता है जो दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC), 1973 की धारा 61 से 70 के तहत जारी किया जाता है।
इस आदेश के ज़रिए अदालत किसी व्यक्ति को अपने समक्ष उपस्थित होने का निर्देश देती है, ताकि मुकदमे की सुनवाई उसकी उपस्थिति में हो सके।
- समन लिखित होता है और इसमें संबंधित व्यक्ति का पूरा विवरण होता है – नाम, पता, उम्र, व्यवसाय आदि।
- यह एक तरह का आदरपूर्वक निमंत्रण होता है, न कि जबरन गिरफ्तार करने का आदेश
- समन दो प्रतियों में होता है और उस पर न्यायालय की मुहर और पीठासीन अधिकारी का हस्ताक्षर होता है।
समन क्यों ज़रूरी है?
कोई भी मुकदमा सही तरीके से तभी चल सकता है जब अभियुक्त (या गवाह) अदालत में उपस्थित हो। इसलिए, अदालत समन भेजकर उस व्यक्ति को उपस्थिति के लिए बुलाती है, जिससे कि उसे अपनी बात रखने का पूरा मौका मिले।
समन की तामील क्या है?
“तामील” का मतलब होता है – समन की सूचना उस व्यक्ति तक पहुँचना, जिसे अदालत ने बुलाया है। यानी समन का आदेश जिसके नाम पर है, उसे समन मिल जाए और वह जान ले कि अदालत में कब और क्यों आना है।
समन की तामील कैसे होती है?
CrPC की धारा 62 से 69 तक में समन की तामील की प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है, जिसके अनुसार –
(1) निजी रूप से तामील (धारा 62)
पुलिस अधिकारी या सरकारी कर्मचारी समन की एक प्रति उस व्यक्ति को देता है।
व्यक्ति समन की दूसरी प्रति पर हस्ताक्षर कर रसीद देता है।
(2) किसी अन्य वयस्क पर तामील (धारा 64)
अगर समन पाने वाला व्यक्ति नहीं मिल रहा है, तो उसके घर में रहने वाले किसी वयस्क पुरुष सदस्य को समन दिया जा सकता है।
महिला या नौकर से तामील मान्य नहीं मानी जाती।
(3) चस्पा तामील (धारा 65)
अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर समन लेने से बच रहा है, तो समन उसके घर के दरवाजे या स्पष्ट जगह पर चिपका दिया जाता है।
(4) डाक द्वारा तामील (धारा 69)
गवाहों के मामले में समन रजिस्ट्री डाक से भी भेजा जा सकता है।
यदि गवाह समन लेने से मना करता है या रजिस्ट्री लौट आती है, तो अदालत इस बात को रिकॉर्ड कर सकती है।
क्षेत्राधिकार से बाहर समन की तामील
अगर समन उस व्यक्ति को भेजा जाना है जो दूसरे जिले में रहता है, तो समन वहाँ के मजिस्ट्रेट को भेजा जाता है, और वही अधिकारी समन की तामील करवाते हैं।
क्या समन की अनदेखी की जा सकती है?
अभियुक्त या गवाह को कभी भी समन की अनदेखी नहीं करनी चाहिए| यदि कोई व्यक्ति समन के बावजूद अदालत में हाज़िर नहीं होता, तो अदालत उसके खिलाफ वारंट या उद्घोषणा जैसी कठोर कार्यवाही कर सकती है।
समन और वारंट में अंतर
बिंदु | समन | वारंट |
उद्देश्य | उपस्थिति हेतु आदेश | गिरफ्तारी हेतु आदेश |
प्रभाव | स्वतंत्रता का हनन नहीं | गिरफ्तारी हो सकती है |
तरीका | आदरपूर्वक बुलाया जाता है | जबरन लाया जाता है |
निष्कर्ष
समन न्यायालय की ओर से किसी व्यक्ति को दी जाने वाली एक वैधानिक सूचना है, जिसमें उसे एक निश्चित तिथि को कोर्ट में उपस्थित होने के लिए कहा जाता है। समन की तामील का अर्थ है उस सूचना को सही तरीके से उस व्यक्ति तक पहुँचाना।
जो भी व्यक्ति कानून से जुड़ा है, चाहे वह छात्र हो, वकील हो या आम नागरिक, उसे समन की प्रक्रिया जरूर समझनी चाहिए।
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