इस आलेख में भारतीय संविधान के अंतर्गत अनुच्छेद 74 और 75 में क्या है? | राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिए मंत्रि परिषद के गठन एंव उपबंध | Article 74 to 75 In Indian Constitution के विषय में बताया गया है,
मंत्रि परिषद (अनुच्छेद 74 और 75)
अनुच्छेद 74 – राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिए मंत्रि परिषद –
(1) राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्रि परिषद होगी जिसका प्रधान, प्रधानमंत्री होगा और राष्ट्रपति अपने कृत्यों का प्रयोग करने में ऐसी सलाह के अनुसार कार्य करेगा,
– परंतु राष्ट्रपति, मंत्रि परिषद से ऐसी सलाह पर साधारणतया या अन्यथा पुनर्विचार करने की अपेक्षा कर सकेगा और राष्ट्रपति ऐसे पुनर्विचार के पश्चात् दी गई सलाह के अनुसार कार्य करेगा।
(2) इस प्रश्न की किसी न्यायालय में जांच नहीं की जाएगी कि क्या मंत्रियों ने राष्ट्रपति को कोई सलाह दी, और दी तो क्या दी।
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अनुच्छेद 75 – मंत्रियों के बारे में अन्य उपबंध –
(1) प्रधान मंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की सलाह पर करेगा।
[(1क) मंत्रि परिषद में, प्रधान मंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या लोकसभा के सदस्यों की कुल संख्या के पन्द्रह प्रतिशत से अधिक नहीं होगी।
(1ख) किसी राजनीतिक दल का संसद के किसी सदन का कोई सदस्य, जो दसवीं अनुसूची के पैरा 2 के अधीन उस सदन का सदस्य होने के लिए निरर्हित है, अपनी निरर्हिता की तारीख से प्रारंभ होने वाली और उस तारीख तक जिसको ऐसे सदस्य के रूप में उसकी पदावधि समाप्त होगी या जहाँ यह ऐसी अवधि की समाप्ति के पूर्व संसद के किसी सदन के लिए निर्वाचन लड़ता है, उस तारीख तक जिसको वह निर्वाचित घोषित किया जाता है, इन में से जो भी पूर्वतर हो, की अवधि के दौरान, खंड (1) के अधीन मंत्री के रूप में नियुक्त किए जाने के लिए भी निरर्हित होगा।]
(2) मंत्री, राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत अपने पद धारण करेंगे।
(3) मंत्रि परिषद लोक सभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होगी।
(4) किसी मंत्री द्वारा अपना पद ग्रहण करने से पहले, राष्ट्रपति तीसरी अनुसूची में इस प्रयोजन के लिए दिए गए प्ररूपों के अनुसार उसको पद की और गोपनीयता की शपथ दिलाएगा।
(5) कोई मंत्री, जो निरन्तर छह मास की किसी अवधि तक संसद् के किसी सदन का सदस्य नहीं है, उस अवधि की समाप्ति पर मंत्री नहीं रहेगा।
(6) मंत्रियों के वेतन और भत्ते ऐसे होंगे जो संसद्, विधि द्वारा, समय-समय पर अवधारित करे और जब तक संसद् इस प्रकार अवधारित नहीं करती है, तब तक ऐसे होंगे जो दूसरी अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं।
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