इस आलेख में भारतीय संविधान का अनुच्छेद 76 क्या है? | भारत का महान्यायवादी कोन होता है और उसकी नियुक्ति किसके द्वारा तथा कितने समय के लिए की जाती है | Article 76 In Indian Constitution के विषय में बताया गया है,

भारत का महान्यायवादी

भारत सरकार को क़ानूनी मामलों में सलाह देने तथा केन्द्र सरकार की और से उच्चतम न्यायालय या भारत के किसी भी राज्य के उच्च न्यायालय में केन्द्र सरकार का पक्ष रखने एंव उसकी और से उपस्थित होने के लिए महान्यायवादी की व्यवस्था की गई है|

भारत सरकार द्वारा वर्ष 1955 में सर्वप्रथम महान्यायवादी के पद पर श्री एम.सी. सीतलवाड को नियुक्त किया गया था| महान्यायवादी को अटॉर्नी-जनरल (Attorney General) भी कहा जाता है|

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महान्यायवादी नियुक्ति एंव कार्य

भारत के महान्यायवादी के पद पर राष्ट्रपति द्वारा एक ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति की जाएगी जो सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त होने की योग्यता रखता हो तथा महान्यायवादी का कार्यकाल अनिश्चित होता है वह अपने पद पर तब तक बना रहेगा जब तक राष्ट्रपति उसे हटा ना देवें|

भारत के महान्याय-वादी का कार्य क़ानूनी मामलों में भारत सरकार को सलाह देना है और ऐसे सभी कार्यों एंव कर्तव्यों का निष्पादन करना है जो उसे समय-समय पर राष्ट्रपति द्वारा निर्देशित किए जाए या सौंपे जाए| महान्याय-वादी के कार्यों में सहायता के लिए सोलिस्टर जनरल एंव अतिरिक्त सोलिस्टर जनरल होते है|

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 76 में भारत के महान्याय-वादी से सम्बंधित प्रावधान किये गए है, जो इस प्रकार है –

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अनुच्छेद 76. भारत का महान्यायवादी

(1) राष्ट्रपति, उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त होने के लिए अर्हित किसी व्यक्ति की भारत का महान्यायवादी नियुक्त करेगा।

(2) महान्यायवादी का यह कर्तव्य होगा कि वह भारत सरकार को विधि संबंधी ऐसे विषयों पर सलाह दे और विधिक स्वरूप के ऐसे अन्य कर्त्तव्यों का पालन करे जो राष्ट्रपति उसको समय-समय पर निर्देशित करे या सौंपे और उन कृत्यों का निर्वहन करे जो उसको इस संविधान अथवा तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि द्वारा या उसके अधीन प्रदान किए गए हों।

(3) महान्यायवादी को अपने कर्तव्यों के पालन में भारत के राज्यक्षेत्र में सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार होगा।

(4) महान्यायवादी, राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद धारण करेगा और ऐसा पारिश्रमिक प्राप्त करेगा जो राष्ट्रपति अवधारित करे।

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संविधान के अनुच्छेद 76 के अनुसार महान्याय-वादी की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है तथा उसका कार्य सरकार को कानूनी पहुलूओं की जानकारी देना होता है| भारत का महान्याय-वादी भारत सरकार का मुख्य विधि सलाहकार तथा उच्चतम न्यायालय में सरकार का प्रमुख अधिवक्ता / वकील होता है।

महान्याय-वादी का कार्यकाल निर्धारित नहीं होता है और ना ही वह मंत्री परिषद् का सदस्य होता है| उसको संसद के किसी भी सदन की कार्यवाही में भाग लेने यानि बोलने का अधिकार होता है लेकिन उन्हें मत देने का अधिकार प्राप्त नहीं होता है|

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