किसी भी देश या राज्य के समाज और न्याय प्रणाली में अपराध और अपराधी दो महत्वपूर्ण अवधारणाएँ हैं। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह समझना ज़रूरी है कि, अपराधी कौन होता है और अपराधशास्त्रियों ने उसे किस आधार पर व कितने भागों में विभाजित किया है?
इस आलेख में अपराधी किसे कहते है, अपराधियों का वर्गीकरण और अपराधी व्यक्ति कितने प्रकार के होते है, के बारे में बताया गया है। यदि आप वकील, विधि के छात्र या न्यायिक प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे है, तब आपके लिए अपराध एंव उसके बारें में जानना बेहद जरुरी है –
परिचय: अपराधी किसे कहते है?
यहाँ पर अपराधी को जानने से पहले अपराध को जानना जरुरी है, क्योंकि अपराध एक आवश्यक बुराई है जिसको करने से ही व्यक्ति Criminal कहलाता है| सरल शब्दों में राज्य की विधि द्वारा घोषित किये गए अवैध कार्य जो विधि द्वारा दण्डनीय है, अपराध कहलाता है|
सदरलैंड ने अपराध को मानव का एक ऐसा आचरण माना है जिसके करने से आपराधिक विधि का उल्लंघन होता है तथा जो विधि द्वारा दण्डनीय है|
इस तरह अपराध एक ऐसा कृत्य है जो राज्य या समाज के विरुद्ध किया जाता है और जो इस कृत्य को करता है, उसे Criminal कहा जाता है तथा उसे विधिनुसार दण्डित किया जाता है|
सामान्यता शब्दों अपराधी उस व्यक्ति को कहा जाता है जो कानूनी नियमों और कानूनों का उल्लंघन कर अपराध कारित करता है।
अपराधी शब्द से तात्पर्य उस व्यक्ति से है जिसका आचरण या व्यवहार समाज के नियमों एंव मानकों के खिलाफ होता है और उससे समाज एंव आम लोगों को नुकसान पहुंचाता है तथा आपराधिक विधि के तहत उसे दण्ड दिया जाता है|
Criminal व्यक्ति अनेक तरह के अपराध कारित करते है, जैसे – चोरी करना, हत्या करना, बलात्कार करना आदि। क़ानूनी प्रक्रिया के तहत अपराधी व्यक्ति को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाती है और आपराधिक कृत्य साबित हो जाने पर माननीय न्यायालय द्वारा Criminal व्यक्ति को विधि के अनुसार दण्ड दिया जाता है|
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अपराधी की परिभाषा
जिस तरह अपराध शब्द की परिभाषा दी जानी कठिन है उसी तरह Criminal शब्द की परिभाषा भी दी जानी कठिन है। यहां इसकी दो प्रकार की परिभाषायें दी गई है –
(I) अपराधशास्त्रीय परिभाषा
वह व्यक्ति जो अपराध कारित करता है, अपराधी कहलाता है। सरल भाषा में, जो व्यक्ति राज्य द्वारा प्रयोज्य आपराधिक विधि का उल्लंघन करता है, वह Criminal है। इसके अलावा कुछ अपराधशास्त्री ऐसे व्यक्ति को Criminal मानते है, जिसमें विधि-विरूद्ध कार्य करने की क्षमता होती है।
(II) विधिक परिभाषा
अपराधी व्यक्ति से तात्पर्य ऐसे व्यक्ति से है, जिस पर किसी अपराध को करने का आरोप है और न्यायालय द्वारा एक विहित प्रक्रिया का पालन करते हुए ऐसे व्यक्ति को आरोप का दोषी मानते हुए उसे दोषसिद्ध घोषित किया जाता है। लेकिन अपराधशास्त्र के सन्दर्भ में Criminal की अपराधशास्त्रीय परिभाषा को ही स्वीकार किया गया है।
विधिक परिभाषा से अपराधी व्यक्ति के तीन तत्व स्पष्ट होते है –
(क) किसी अपराध के कारित किये जाने का आरोप होना चाहिए
(ख) आरोप का न्यायालय द्वारा विचारण किया जाना चाहिए तथा
(ग) न्यायालय द्वारा ऐसे व्यक्ति को दोषसिद्ध घोषित किया जाना चाहिए|
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अपराधी का वर्गीकरण
प्राय: यह धारणा बनी हुई है कि, अपराधी व्यक्ति एक सामान्य व्यक्ति से अलग होता है तथा उसके लक्षण भी कुछ अलग होते है। जिस तरह से अपराध का वर्गीकरण किया गया है उसी तरह अपराधशास्त्रियों ने भी अपराधियों का वर्गीकरण किया है, जो निम्नलिखित है –
(A) सदरलैण्ड ने अपराधियों को दो वर्गों में बांटा है –
(i) साधारण अपराधी (Simple Criminals)
(ii) सफेदपोश अपराधी (White Collar Criminals)
(B) सीजर लोम्ब्रोसो के अनुसार वर्गीकरण –
(i) जन्मजात अपराधी (Born Criminals)
(ii) विक्षिप्त अर्थात् मनोविकृत अपराधी (Insane Criminals)
(iii) कामात्तुर अपराधी (Lustful Criminals)
(iv) प्रसंगवश या आकस्मिक अपराधी (Incidental Criminals)
(C) गेरोफेलो के अनुसार अपराधी चार प्रकार के होते हैं –
(i) प्ररूपिक अपराधी (Typical Criminals)
(ii) हिंसात्मक अपराधी (Violent Criminals)
(iii) सदभावरहित अपराधी (Criminals deficient in probity)
(iv) कामात्तुर अपराधी (Lustful Criminals)
(D) एनरिको फेरी के अनुसार वर्गीकरण –
एनरिको फेरी जो सीजर लोम्ब्रोसो के शिष्य थे ने अपने गुरु की तरह अपराधियों का अध्ययन करके अपराधी व्यक्तियों को पांच भागों में बाँटा है –
(i) जन्मतः अपराधि (Born Criminals)
(ii) अभ्यस्त अपराधि (Habitual Criminals)
(iii) विक्षिप्त अपराधि (Insane or Epileptic Criminals)
(iv) यदाकदा या आकस्मिक अपराधि (Occasional or Incidents Criminals)
(v) भावावेशी अपराधि (Passionate Criminals)
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(E) डब्ल्यू ए. बॉगर के अनुसार वर्गीकरण –
(i) आर्थिक अपराधि (Economic Criminals)
(ii) यौन अअपराधि (Sexual Criminals)
(iii) राजनीतिक अपराधि (Political Criminals)
(iv) विविध अपराधि (Miscellaneous Criminals)
(F) टार्डे के अनुसार अपराधियों का वर्गीकरण –
(i) नगरीय अपराधि (Urban Criminals)
(ii) ग्रामीण अपराधि (Rural Criminals)
अपराधी व्यक्तियों के प्रकार
(i) जन्मजात अपराधी (Born Criminal)
ऐसे अपराधिजो जन्म से ही कुछ शारीरिक विशेषतायें लिये हुए होते है यानि जो जन्म से ही वंशानुक्रमण के कारण अपराधीवर्ती के होते है, उन्हें जन्मजात अपराधी कहा जाता है और कठोर दण्ड द्वारा ही ऐसे अपराधियों में सुधार किया जा सकता है, अन्यथा नहीं।
लोम्ब्रोसो, एनरिक फेरी आदि इसके समर्थक माने जाते है परन्तु वर्तमान समय में अपराधशास्त्र इस वर्ग को मान्यता नहीं देता है|
(ii) विक्षिप्त या पागल अपराधी
इस वर्ग में उन अपराधियों को शामिल किया गया हैं जो मानसिक रूप से असामान्य होते है तथा मानसिक विकार के कारण अपराध करते है यानि मिर्गी, हिस्टीरिया, लकवा जैसी मानसिक बीमारियों से ग्रस्त व्यक्ति कार्य की प्रकृति एवं उसके परिणामों को समझने की क्षमता नहीं रखते है| ऐसे अपराधियों को दण्ड देने के बजाए उनका इलाज किया जाना उचित होता है।
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(iii) कामातुर अपराधी
ऐसे अपराधियों मे कामवासना अत्यधिक होती है और इस कारण वे आवेग में आकर स्वंय पर नियंत्रण नहीं रख पाते और अपराध कर बैठते है| ऐसे व्यक्ति प्राय: लैंगिक अपराध (Sexual Offences) कारित करते है जो कामातुर अपराधी कहलाते हैं।
इस तरह के अपराध सामान्यतः प्रौढ़ एवं वृद्ध व्यक्ति अधिक करते हैं| इन अपराधियों के लिए मन: चिकित्सकीय उपचार पद्वति का उपयोग किया जाना चाहिए|
(iv) प्रथम अपराधी (First Offenders)
ऐसे व्यक्ति जो प्रथम बार अपराध कारित करते है, प्रथम अपराधि कहलाते है इन्हें नव-अपराधी भी कहा जाता है| ऐसे व्यक्तियों में साहस की कमी होने के कारण यह अपराध करने से डरते है तथा उनका मन अशान्त रहता और उसमे घबराहट भी रहती है|
ऐसे व्यक्ति समाज में बदनामी एंव दंड के भय से अपराध करने से डरते है तो वही उन्हें इस कार्य से होने वाला संभावित लाभ अपराध करने के लिए प्रेरित करता है|
(v) आकस्मिक/परिस्थितिजन्य अपराधी
आकस्मिक अपराधी से तात्पर्य ऐसे अपराधियों से है जो आदतन अथवा पेशेवर अपराधि नहीं होते है लेकिन विशेष परिस्थितियों के दबाव में आकर अकस्मात अपराध कर बैठते है| वे ऐसी परिस्थितियों से अपने आपको बचाकर नहीं रख सकते है।
इस व्यक्तियों द्वारा किये गए अपराध की प्रकृति साधारण एंव गंभीर दोनों तरह की हो सकती है तथा ऐसे अपराधियों के प्रति उदार दंड निति को अपनाना चाहिए|
(vi) आदतन/अभ्यस्त अपराधी
ऐसे व्यक्ति जो सामान्यत: छोटे या गंभीर अपराधो को करने में शामिल रहते है और बार-बार अपराधों की पुनरावृत्ति करते है, उन्हें आदतन अपराधि (Habitual offender) कहा जाता हैं। इन अपराधियों का उपचार खुले कारागारों में अधिक उपयुक्त रहता है|
(vii) पेशेवर अपराधी
ऐसे व्यक्ति जो अपराध को अपना पेशा बना लेते हैं और उनकी आजीविका अपराधों पर ही निर्भर करती है, उन्हें पेशेवर अपराधी (Professional offender) कहा जाता है।
ऐसे व्यक्ति अपना अपराध सुनियोजित तरीके से एंव कुशलतापूर्वक करते है, इस वर्ग में तस्करी, जेब काटना, चोरी, वेश्यावृति आदि करने वाले अपराधियों को शामिल किया जाता है|
इन अपराधियों के सुधरने की संभावना बहुत ही कम होती है क्योंकि इस तरह के व्यक्ति अपने लाभ के लिए जानबुझकर समाज विरोधी कार्य में भाग लेते है|
(viii) सामान्य अपराधी
सामान्य अपराधि ऐसे व्यक्तियों को कहा जाता है जो आपराधिक विधि द्वारा निषिद्ध आचरण के दोषी पाये जाते है| ऐसे अपराधि सामान्यतः निम्न एवं मध्यम वर्ग के व्यक्ति होते है जो धन के अभाव में अपने अपराध को छिपा नहीं पाते है|
(ix) सफेदपोश अपराधी
येन-केन-प्रकारेण अधिक से अधिक धन अर्जित करने के उद्देश्य से अपराध कारित करने वाले व्यक्ति जो उच्च आर्थिक सामाजिक वर्ग से सम्बंधित होते है, सफेदपोश अपराधि (White Collar Offender) कहलाते हैं।
सामान्यतः उच्च वर्ग के प्रतिष्ठित, शिक्षित एवं सम्पन्न व्यक्तिय, उद्योगपति, उच्च राजकीय पदाधिकारी, वकील आदि इस वर्ग में आते है जो सामान्यत: अपमिश्रण, तस्करी, कालाबाजारी, रिश्वत, कर-प्रवंचना आदि ऐसे ही अपराध कारित करते है|
(x) बाल अपराधी (Juvenile Offenders)
किशोर एवं बालकों द्वारा जब अपराध कारित किया जाता है तब उनको बाल अपराधि कहा जाता है। विधि में ऐसे अपराधियों को अपचारी किशोर अथवा विधि विवादित किशोर की संज्ञा दी जाती है। वर्तमान समय में बाल आपराधिकता गंभीर रूप धारण करती जा रही है|
इसका एक मुख्य कारण परिवार विघटन को भी माना जाता है जिससे माता-पिता से प्रेम एंव सरंक्षण के अभाव में बच्चे अपने आपको अपेक्षित महसूस करते है और इस कारण वे अपराध की और बढ़ने लगते है|
(xi) महिला अपराधी (Women offenders)
जब महिला द्वारा कोई अपराध कारित किया जाता है तो उसे महिला अपराधि कहा जाता है। भारत में पुरुष अपराधियों की अपेक्षा महिला अपराधियों की संख्या बहुत कम है।
महिलाओं द्वारा किये जाने वाले अपराधों में भूर्णहत्या, अविअध गर्भपात, विष-प्रयोग, ठगी, वेश्यावृत्ति, व्यभिचार, चोरी, परपुरुष गमन, कुमारी गमन, जारता जैसे अपराध प्रमुख हैं।
सामान्यत: महिलाएं ऐसे अपराध कारित करती है जिनमे बल प्रयोग की आवश्यकता नहीं होती है| महिलाओं द्वारा किये जाने वाले अपराधों में प्रत्यक्षत: या किसी न किसी रूप में पुरुषों का सहयोग किया जाता है और इसी तरह पुरुषों द्वारा भी अनेक बार अपराध कारित करने में महिलाओं की मदद ली जाती है |
(xii) साइबर अपराधी (Cyber Offence)
यह अपराध बीसवीं सदी के अंत एवं इक्कीसवीं सदी के प्रारम्भ की देन है। जैसे ही सूचना की आधुनिक प्रणाली का आगमन हुआ उसके साथ ही कंप्यूटर का युग भी शुरू हो गया जिसके कारण साइबर अपराध का जन्म हो गया जो तेजी से बढ़ रहा है|
यह अपराध कम्प्यूटर, इन्टरनेट एवं अन्य इलेक्ट्रोनिक उपकरणों के माध्यम से कारित किया जाता हैं जो अधिकांश रूप से साइबर कैफे के माध्यम से किया जाता है क्योंकि कैफे में चैटिंग, ई-मेल, इन्टरनेट का प्रयोग करने वालो का आवागमन रहता है, इस कारण उनके पकड़े जाने की संभावना बहुत ही कम होती है|
ऐसे अपराध कारित करने वाले अपराधियों को साइबर अपराधि कहा जा सकता है तथा इन अपराधों के निवारण हेतु सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 पारित किया गया है। लोम्ब्रोसो, एनरिक फेरी, सदरलैण्ड, गेरोफेलो, डोनाल्ड टेफ्ट, गोडार्ड, फ्रायड आदि विचारक इस वर्ग के समर्थक माने जाते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
आपराधी केवल एक कानूनी शब्द नहीं है, बल्कि यह समाज और मानव व्यवहार से भी जुड़ा हुआ है। अपराध की प्रकृति और उसके पीछे छुपी मानसिकता को समझकर ही प्रभावी न्याय प्रणाली का विकास किया जा सकता है।
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